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- सामान्य प्रश्नोत्तर
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की फसलों से जुड़े हुए जोखिमों की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने का माध्यम है। इससे किसानों को अचानक आए जोखिम या प्रतिकूल मौसम की वजह से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है।
ऋणी एवं गैर ऋणी किसान अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित की गई फसलों के बीमा का लाभ उठा सकते हैं। ऋणी किसानों एवं गैर ऋणी किसानों के लिए यह योजना स्वैच्छिक है। यदि कोई ऋणी कृषक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाभ नहीं लेना चाहता है तो उन्हें बैंक द्वारा उपलब्ध कराये गए निर्धारित प्रपत्र में लिखित में यह आवेदन करना होगा कि उसे खरीफ 2020 के लिए फसल बीमा से पृथक रखा जाये। जिसके आवेदन की अन्तिम तिथि 8 जुलाई, 2020 है।
बीमित राशि गत 7 वर्षों के जिला स्तर के उपज में से सर्वश्रेष्ठ 5 वर्षों के उपज के औसत को न्यूनतम समर्थन मूल्य से गुना के अनुसार तथा जिन फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं है उनके लिए बाजार भाव से गुणा कर तय की गयी है।
खरीफ मौसम के लिए 2 प्रतिशत, रबी मौसम हेतु 1.5 प्रतिशत, व्यावसायिक और बागवानी फसलों हेतु बीमित राशि का 5 प्रतिशत।
योजना के अन्तर्गत युद्ध तथा नाभिकीय जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान, दुर्भावनापूर्ण क्षति तथा अन्य निवारण योग्य जोखिमों को (योजना से) बाहर रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा प्राप्त करने के इच्छुक गैर-ऋणी किसान निकटतम बैंक शाखा/सहकारी समिति/ अधिकृत चैनल पार्टनर/जन सेवा केंद्र (सीएससी) /बीमा कम्पनी या उनके अधिकृत एंजेट से सम्पर्क कर सकते हैं या निर्धारित तिथि के अंतर्गत स्वयं राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल - https://www.pmfby.gov.in ऑनलाइन आवेदन फार्म भर सकते हैं।
गैर ऋणी किसानों को अधिसूचना अनुसार भू-अभिलेख, आधार कार्ड, बोई हुई फसल का प्रमाण पत्र (कृषि या राजस्व विभाग के कार्मिको द्धारा जारी), मालिक से घोषणा पत्र/अनुबंध (पट्टे की भूमि के मामले में), बैंक पास बुक कॉपी जमा कराना अनिवार्य होगा। इसे राज्यों द्वारा अधिसूचना में ही परिभाषित किया जाएगा।
मुख्य फसलों के लिए बीमा इकाई पटवार मंडल स्तर एवं अन्य फसलों के लिए बीमा इकाई तहसील स्तर है।
प्रभावित बीमित कृषक को आपदा के 72 घण्टे के अन्दर सीधे बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर .......1800123123123............. पर अथवा लिखित में अपने बैंक/कृषि विभाग के अधिकारियों के माध्यम से सूचित करवाना आवश्यक है। यदि 72 घण्टे में कृषक द्वारा पूर्ण सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जाती है तो वह कृषक 7 दिवस में पूर्ण सूचना निर्धारित प्रपत्र में सम्बन्धित बीमा कम्पनी को देना आवश्यक होगा, जिसमें किसान का नाम, मोबाईल नं., अधिसूचित पटवार सर्किल, बैंक का नाम, बैंक खाता संख्या, आपदा का प्रकार, प्रभावित फसल आदि की सूचना अंकित होनी चाहिए।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन के अन्तर्गत खेतों की तारबंदी पर अनुदान दिया जाता है।
कृषक नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर ऑनलाईन आवेदन कर सकते है।
आवेदन के साथ आधार कार्ड, जनआधार कार्ड की छाया प्रति जमा बन्दी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नहीं हो) तथा बैंक खाते के विवरण की छाया प्रति।
सभी श्रेणी के कृषक अनुदान के पात्र है। तारबंदी पर अनुदान के लिए निर्धारित क्षेत्र में कम से कम 3 कृषकों का एक समूह व कम से कम 5 हैक्टेयर कृषि भूमि हो।
तारबंदी पर पेरीफरी (परिधि) कृषकों को लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि 40,000 रूपये जो भी कम हो देय है। प्रति कृषक अधिकतम 400 रनिंग मीटर पर 100 रूपये प्रति मीटर की दर से अनुदान दिया जा सकता है।
तारबंदी पर मिलने वाली अनुदान राशि कृषकों के बैंक खातों में सीधे ही जमा होगी।
कृषि विभाग द्वारा रबी व खरीफ में होने वाली विभिन्न फसलों के प्रदर्शनों पर अनुदान दिया जाता है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&तिलहन के अन्तर्गत मूंगफली] सोयाबीन] तिल] अरण्डी] सरसों व अलसी की फसलों पर आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों पर कुल लागत के 50 प्रतिशत अनुदान (फसलवार निर्धारित सीमा तक) पर कृषि आदान उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&दलहन के अन्तर्गत मोठ] मूंग] उड़द व चना की फसलों पर आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों के कृषि आदान फसलवार निर्धारित सीमा तक शत&प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&वाणिज्यक फसल के अन्तर्गत कपास की फसल के आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों के कृषि आदान निर्धारित सीमा तक शत&प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&मोटा अनाज के अन्तर्गत मक्का व जौ की फसलों पर आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों के कृषि आदान फसलवार निर्धारित सीमा तक शत&प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&न्यूट्री सीरियल के अन्तर्गत बाजरा व ज्वार की फसलों पर आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों के कृषि आदान फसलवार निर्धारित सीमा तक शत&प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&गेहॅू के अन्तर्गत गेहॅू की फसल पर आयोजित होने वाले फसल प्रदर्शनों के कृषि आदान फसलवार निर्धारित सीमा तक शत-प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन&वृक्ष जनित तिलहन के अन्तर्गत नीम] जोजोबा व जैतून के पौध रोपण के लिए फसलवार तथा फसल की आयुवार अलग-अलग अनुदान देय है।
फसल प्रदर्शन पर अनुदान लेने हेतु सीजन पूर्व अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक@सहायक कृषि अधिकारी@सहायक निदेशक कृषि@उप निदेशक कृषि से सर्म्पक करें।
फसल प्रदर्शन आवेदन के साथ आधार कार्ड@जन आधार कार्ड की छाया प्रति तथा जमा बन्दी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नहीं हो) की आवश्यकता होती है।
उन्नत कृषि यंत्र क्रय करने के लिये अनुमोदित कृषि यंत्रों पर कृषकों को अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
समस्त कृषक पात्र हैं। कृषि भूमि का स्वामित्व अनिवार्य है।
कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिये निकटतम ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन करना होता है।
कृषक को पहले ऑनलाईन आवेदन करना होता है जिसके बाद 15 दिन में प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाती है। प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के 45 दिन के भीतर पंजीकृत निर्माता/विक्रेता से कृषि यंत्र क्रय करना अनिवार्य है नहीं तो कृषक की प्रशासनिक स्वीकृति स्वतः ही निरस्त हो जाती है।
आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, जमाबंदी या राजस्व पास-बुक की नकल, लघु-सीमान्त कृषक का प्रमाण पत्र (यदि आवश्यकता हो तो), ट्रैक्टर चलित कृषि यंत्र हेतु ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की प्रति तथा बैंक खाते का पूर्ण विवरण।
योजनाओं के प्रावधान के अनुसार एस.सी./एस.टी./लघु/सीमान्त एवं महिला कृषकों को यंत्र की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत तक तथा अन्य श्रेणी के कृषकों को अधिकतम 40 प्रतिशत तक।
अनुदान राशि का भुगतान कृषक के बैंक खाते में ऑनलाईन किया जाता है।
अलग-अलग प्रकार के अधिकतम 3 यंत्रों के लिये आवेदन कर सकते हैं। परन्तु एक ही श्रेणी के यन्त्र पर तीन वर्ष में एक बार ही अनुदान मिल सकता है ।
कृषक पौध संरक्षण यंत्र/रसायन अनुदान हेतु आवेदन पत्र, कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी/सहायक/उप निदेशक, कृषि (वि0) के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते है।
कृषक अनुदान पर पौध संरक्षण यंत्र क्रय करना चाहता है तो यंत्र की पूर्ण राशि क्रय विक्रय सहकारी समिति/ग्राम सेवा सहकारी समिति/पंजीकृत निर्माता/अधिकृत विक्रेता को जमा कराकर यंत्र प्राप्त किये जाने का प्रावधान है। अनुदान की राशि का भुगतान भौतिक सत्यापन के पश्चात् संबंधित उप/सहायक निदेशक कृषि कार्यालय द्वारा संबंधित कृषक को ऑन-लार्इन बैंक खाते में किया जाता है।
कृषकों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन/दलहन/गेहूं/न्यूट्री सिरियल्स), योजनान्तर्गत मानव चालित पौध संरक्षण यंत्र पर 40-50 प्रतिशत या 600-750 रूपये, शक्ति चालित पौध संरक्षण यंत्रों पर लागत का 40-50 प्रतिशत या 2500 से 10000 रूपये, ट्रैक्टर चालित पौध संरक्षण यंत्रों पर लागत का 40-50 प्रतिशत या 28000 से 37000 रूपये तक अनुदान दिये जाने का प्रावधान है।
राज्य के सभी ऐसे कृषक जिन्हें विभाग की किसी भी योजना से लाभ नहीं मिला है एवं जिले में चयनित आदर्श गाव के कृषकों को प्राथमिकता प्रदान कर लाभान्वित किया जाता है। पौध संरक्षण यंत्रों के वितरण में अनुसूचित जाति/जन जाति, महिला, बीपीएल, सीमान्त, लघु कृषकों एवं अन्त्योदय/खाद्य सुरक्षा परिवारों के कृषकों को प्राथमिकता से लाभान्वित किया जाता है। लघु/सीमान्त/अजा/अजजा/महिला कृषकों की श्रेणी हेतु उप निदेशक कृषि (विस्तार)/सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) अपने स्तर पर जमाबन्दी/पासबुक के आधार पर कृषक के जोत/जाति/लिंग/श्रेणी का निर्धारण करते हुए अनुदान स्वीकृत कर सकता है। लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु 30 प्रतिशत महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है।
आधार कार्ड की प्रतिलिपि, बैंक खाते की पासबुक/चैक की प्रतिलिपि/पौध संरक्षण यंत्रों पर अनुदान प्राप्ति हेतु फोटो।
संबंधित उप/सहायक निदेशक कृषि (वि.) कार्यालय द्वारा अनुदान की राशि का भुगतान कृषक को ऑन-लार्इन किया जाता है। जिसकी सूचना कृषक के मोबाइल पर सन्देश के माध्यम से सम्प्रेषण होता है एवं सबंधित कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी द्वारा भी उपलब्ध रिकार्ड अनुसार सूचना दी जाती है।
व्यक्तिगत
उन्नत कृषि यंत्र क्रय करने के लिये भारत सरकार प्रवर्तित योजनाओं में अनुमोदित कृषि यंत्रों पर कृषकों को अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
समस्त कृषक पात्र हैं। कृषि भूमि का स्वामित्व अनिवार्य है।
कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिये निकटतम ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन करना होता है।
कृषक को पहले ऑनलाईन आवेदन करना होता है जिसके उपरान्त 15 दिवस में प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाती है। प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के 45 दिवस के भीतर पंजीकृत निर्माता/विक्रेता से कृषि यंत्र क्रय करना अनिवार्य है नहीं तो कृषक की प्रशासनिक स्वीकृति स्वत: ही निरस्त हो जाती है।
आधार कार्ड/जनाधार कार्ड, जमाबन्दी की पास-बुक की नकल, लघु-सीमान्त कृषक का प्रमाण पत्र (यदि आवश्यकता हो तो), ट्रैक्टर चलित कृषि यंत्र हेतु ट्रैक्टर की आर.सी. की प्रति तथा बैंक खाते का पूर्ण विवरण।
योजनाओं के प्रावधान के अनुसार एस.सी./एस.टी./लघु/सीमान्त एवं महिला कृषकों को यंत्र की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत तक तथा अन्य को अधिकतम 40 प्रतिशत तक।
अनुदान राशि का भुगतान कृषक के बैंक खाते में ऑनलाईन किया जाता है।
अलग-अलग प्रकार के अधिकतम 3 यंत्रों के लिये आवेदन कर सकते हैं।
कृषि जलवायुवीय कारक-तापक्रम, आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश को नियंत्रित करके सब्जियों, फूलों व फलों आदि उद्यानिकी फसलों की खेती को संरक्षित कृषि कहते हैं।
ग्रीन हाऊस एवं शेडनेट हाऊस निर्माण हेतु निम्नानुसार निर्धारित इकाई लागत या इस हेतु विभाग द्वारा ऐम्पेनल फर्मस की प्रस्तुत दरों में से जो भी कम हो पर वर्ष 2020-21 में 50 प्रतिशत अनुदान देय है। इसके अलावा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को 20 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान राज्य योजना मद से देय है।
एक लाभार्थी को अधिकतम 4000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिये अनुदान देय होगा।
आवेदक द्वारा अपने निम्न दस्तावेजो के साथ जिला कार्यालय में ऑनलाइन प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना होगाः-
उद्यानिकी फसलों में खरपतवार नियन्त्रण, जल के कुशलतम उपयोग एवं फसल उत्पाद की गुणवत्ता बढाये जाने हेतु प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग किया जाता है।
प्लास्टिक मल्च की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि रूपये 16000/- प्रति हैक्टेयर की दर से अनुदान देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 2 हैक्टेयर क्षेत्र हेतु अनुदान उपलब्ध कराया जा सकता है।
उद्यानिकी फसलों को शीत के प्रकोप से बचाने हेतु लॉ-टनल का प्रयोग किया जाता है।
बागवानी फसलो में लॉ-टनल उपयोग करने पर अनुमानित लागत 60/-रूपये प्रति वर्गमीटर या ऐम्पेनल फर्मस की दर दोनो मे से जो भी कम हो, का 50 प्रतिशत अनुदान देय है।
उद्यानिकी फसलों में पक्षियों के नुकसान को कम करके उत्पादकता बढाये जाने हेतु एन्टी बर्ड नेट का प्रयोग किया जाता है।
बागवानी फसलो में एन्टी बर्ड नेट का उपयोग करने पर अनुमानित लागत 35/-रूपये प्रति वर्गमीटर का अधिकतम 50 प्रतिशत की दर से अनुदान देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 5000 वर्ग मीटर तक के लिये अनुदान देय है।
कृषक/लाभार्थी को राष्ट्रीय बागवानी मिशन के संरक्षित खेती कार्यक्रम अन्तर्गत हाई वैल्यू वेजिटेबलस व फूलों की रोपण सामग्री व कास्त हेतु निर्धारित अधिकतम अनुमानितलागत (हाई वैल्यू वेजिटेबलस 140 रूपये प्रति वर्ग मीटर, कार्नेशन व जरबेरा 610 रूपये प्रति वर्ग मीटर एवं गुलाब व लिलियम 426 रूपये प्रति वर्ग मीटर) के अध्यधीन इस हेतु निर्धारित सांकेतिक लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र तक के लिए अनुदान देय होगा।
सामूदायिक जल स्त्रोत 10 हैक्टेयर क्षेत्र के कमाण्ड हेतु 100Χ100Χ3 मीटर का होता है।
100Χ100Χ3 मीटर साईज के ऑन फार्म पौण्डस/ऑन फार्म वाटर रेजरवायर्स के निर्धारित BIS मापदण्ड की न्यूनतम 500 माईक्रोन प्लास्टिक फिल्म/आर.सी.सी लाइनिगं से निर्माण पर इकाई लागत 20.00 लाख रूपये प्रति इकाई का शत प्रतिशत या अन्य छोटी साइज के जल स्त्रोत निर्माण पर कमान्ड क्षेत्र के अनुसार यथाअनुपात (प्रोरेटा बेसिस पर) अनुदान देय है।
कृषक समूह के जल स्त्रोत के लिए न्यूनतम कृषक संख्या कम से कम 3 रहेगी।
एकल जल स्त्रोत का आकार दो हैक्टेयर क्षेत्र के कमाण्ड क्षेत्र के लिये 20 मीटर लम्बाई, 20 मीटर चौडाई व 3 मीटर गहराई का होता है।
20 मीटर लम्बाई, 20 मीटर चौडाई व 3 मीटर गहराई आकार के फार्म पॉण्ड / Dug well BIS मापदण्ड अनुसार 300 माइक्रोन प्लास्टिक फिल्म/आरसीसी लाईनिंग से निर्माण पर इकाई लागत 1.50 लाख रूपये का 50 प्रतिशत अधिकतम 75000 रूपये अनुदान देय है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन अन्तर्गत जिलेवार चयनित बागवानी फसलों के लागत मापदण्ड अनुसार नये क्षेत्र विस्तार/नये बगीचों की स्थापना पर अनुदान उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है।
बागवानी फसलों जैसे- फल, फूल, मसाले तथा सुगंधीय पौधो के नए फल बगीचों की स्थापना हेतु अनुदान देय है।
अधिक मूल्य वाली फसल पपीता हेतु इकाई लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि रूपये 80000/- प्रति हेक्टेयर प्लान्टिंग मैटेरियल, ड्रिप सिचांई विधि एवं उर्वरक तथा पौध सरंक्षण रसायनों पर देय है। प्रथम वर्ष में सहायता राशि का 75 प्रतिशत एवं द्वितीय वर्ष में 90 प्रतिशत पौधें जीवित होने की दशा में 25 प्रतिशत अनुदान देय है।
सघन बागवानी फसल आम हेतु इकाई लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम रूपये 60,000/- प्रति हेक्टेयर प्लान्टिंग मैटेरियल, ड्रिप सिचांई विधि एवं उर्वरक तथा पौध सरंक्षण रसायनों पर देय है। प्रथम वर्ष में सहायता राशि का 60 प्रतिशत, द्वितिय वर्ष में 75 प्रतिशत पौधें जीवितता पर 20 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत पौधें जीवितता पर 20 प्रतिशत अनुदान देय है।
सामान्य अन्तराल वाली फसलें आंवला, बेर, नीम्बू व अमरूद हेतु इकाई लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम रूपये 40,000/- प्रति हेक्टेयर प्लान्टिंग मैटेरियल, ड्रिप सिचांई विधि एवं उर्वरक तथा पौध सरंक्षण रसायनों पर देय है। प्रथम वर्ष में सहायता राशि का 60 प्रतिशत, द्वितिय वर्ष में 75 प्रतिशत पौधें जीवितता पर 20 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90प्रतिशत पौधें जीवितता पर 20 प्रतिशत अनुदान देय है।
एक कृषक/लाभार्थी को न्यूनतम 0.4 हैक्टेयर एवं अधिकतम 4.0 हैक्टेयर क्षेत्र के लिये अनुदान देय होगा। अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों व जनजातीय क्षेत्रों के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल सीमा 0.2 हैक्टेयर रहेगी।
30 फीट X 8 फीट X 2.5 फीट
30 फीट Χ 8 फीट Χ 2.5 फीट आकार के पक्के निर्माण के साथ वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापना हेतु लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 50000/- रूपये प्रति इकाई आकार अनुसार यथानुपात अनुदान देय है।
एच.डी.पी.ई. वर्मी बेड इकाई (12फीट Χ4फीट Χ2फीट आकार) IS 15907:2010 स्थापना हेतु लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 8000-/ रूपये प्रति इकाई आकार अनुसार यथानुपात अनुदान देय है ।
उद्यानिकी में ट्रेक्टर (20 पी.टी.ओ. तक) रोटावेटर, पावर टिलर (8 बी.एच.पी. से कम), पावर टिलर (8 बी.एच.पी. व अधिक), ट्रेक्टर/पावरचलित मशीन (20 बी.एच.पी.तक) व ट्रेक्टर माउंटेड / ऑपरेटेड स्प्रेयर (35 बी.एच.पी. से अधिक/इलेक्ट्रोस्टेटिक स्प्रेयर) पर अनुदान दिया जाता है।
सामान्य कृषकों को कुल लागत रूपये 3.00 लाख का 25 प्रतिशत अधिकतम राशि रूपये 75000/- प्रति उपकरण। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु वं सीमान्त, महिला कृषकों को लागत का 35 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि रूपये 100000/- प्रति उपकरण अनुदान दिया जाता है।
फसल उत्पादन लागत में कमी व उत्पादकता को बढाये जाने हेतु उद्यानिकी में यांत्रिकरण किया जाता है।
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने हेतु आठ फ्रेमों वाली प्रति कॉलोनी की लागत 2000 रूपये एवं मधुमक्खी पालन बाक्स की लागत 2000 रूपये पर लागत का 40 प्रतिशत अनुदान देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 50 कालोनी एवं 50 मधुमक्खी बॉक्स अनुदान देय है।
मसाला फसलों पर कृषकों को आदानों की कुल लागत 13750/-रूपये का 40 प्रतिशत अधिकतम 5500/- रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान देय होगा। बीज, समन्वित पोषक तत्व/कीट व्याधि प्रबंध इत्यादि आदानों की लागत पर अनुदान देय होगा।
मसाला फसलों का नया क्षेत्र विस्तार जहां गत वर्ष खेती नही की गयी हो, पर करवायी जावें।
फल बगीचों में जीर्ण व पुराने पेड़ों को हटाकर इनके स्थान पर नए स्टाक को पुनः रोपित करके उत्पादकता वृद्धि कार्यक्रम शुरू करने पर लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 20000/-रूपये प्रति हैक्टेयर, एक लाभार्थी को अधिकतम 2 हैक्टेयर तक अनुदान देय है।
अनुमानित लागत रूपये 4.00 लाख प्रति इकाई का 50 प्रतिशत अनुदान देय है।
अनुमानित लागत रूपये 1.00 लाख प्रति मै.टन का 35 प्रतिशत (क्रेडिट लिंक्ड बैक एन्डेड) अनुदान देय है।
अनुमानित लागत रूपये 1.75 लाख प्रति इकाई का 50 प्रतिशत अनुदान देय है।
समन्वित पोषक तत्व प्रबंध (आई.एन.एम)/समन्वित कीट प्रबंध (आई.पी.एम) को बढावा देने हेतु लागत का 30 प्रतिशत अधिकतम 1200/-रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से प्रति लाभार्थी 4 हैक्टेयर तक अनुदान देय है।
अनुमानित लागत 20.00 लाख रूपये का 40 प्रतिशत अधिकतम 8.00 लाख रूपये प्रति इकाई क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान देय है।
अनुमानित लागत 15.00 लाख रूपये का 40 प्रतिशत अधिकतम 6.00 लाख रूपये प्रति इकाई क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान देय है।
अनुमानित लागत 20.00 लाख रूपये का 40 प्रतिशत अधिकतम 8.00 लाख रूपये प्रति इकाई क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान देय है।
लघु और सीमांत कृषको को लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम रू. 16,000/है., व अन्य किसानो को लागत का 25 प्रतिशत अधिकतम रू. 10,000/है. अनुदान देय है।
लूज फ्लावर (देसी गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, गैलार्डिया) पर अनुदान देय है।
खुदरा बाजार/आउट लेट (नियंत्रित वातावरण) की स्थापना करने पर राषि रूपये 15.00 लाख प्रति इकाई की लागत निर्धारित की गई है जिस पर 35 प्रतिशत अनुदान क्रेडिट लिंक्ड बैक एन्डेड के रूप में देय है। संग्रह, छटाई/ग्रेडिंग, पेकिंग इकाईकी स्थापना हेतु परियोजना लागत राषि रूपये 15.00 लाख प्रति इकाई की लागत निर्धारित की गई है जिस पर 40 प्रतिशत सहायता क्रेडिट लिंक्ड बैक एन्डेड के रूप में देय है।
भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पीएम कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एव उत्थान महा अभियान) कम्पोनेन्ट -बी स्टैण्ड अलोन सौर उर्जा पम्प संयंत्र योजना में 3 एचपी से 10 एचपी क्षमता तक के पम्प संयंत्रों की स्थापना का प्रावधान है, परन्तु अधितम अनुदान 7.5 एचपी क्षमता तक की दर से देय है।
अनुदान सहायता: केन्द्रीय सहायता 30 प्रतिशत, राज्य सहायता 30 प्रतिशत कुल 60 प्रतिशत अनुदान देय है।
कृषक हिस्सा राशि: योजना अन्तर्गत कृषक हिस्सा राशि 40 प्रतिशत है।
जी हा, कृषक 30 प्रतिशत तक बैंक से ऋण प्राप्त कर सकता है तथा शेष 10 प्रतिशत कृषक द्वारा देय होगा।
आवेदक द्वारा निम्न दस्तावेजों के साथ जिला कार्यालयों में ऑनलाइन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना होगा।
भूमि की जमाबंदी या पासबुक की प्रतिलिपि (भू-स्वामित्व) व सिंचाई जल स्त्रोत इत्यादि।
कृषक हाईटेक उद्यानिकी/कृषि हेतु सौर जल पम्पिंग निर्माण कराने एवं कृषक हिस्सा राशि जमा कराने की सहमति के लिए शपथ-पत्र
कृषि विधुत कनेक्शन/सौर ऊर्जा पम्प संयत्र के सम्बन्ध मे कृषक द्वारा शपथ-पत्र
डार्क जोन/ब्लैक जोन क्षेत्र के विधुत कनेक्शन विहिन कृषक हेतु भू-स्वामित्व मे जल-स्त्रोत अंकित होने पर देय शपथ-पत्र
जल संग्रहण ढांचा/डिग्गी/फार्म पौण्ड/जलहौज के सम्बन्ध में विधुत कनेक्शन विहीन कृषक हेतु देय शपथ पत्र
सौर पम्प हेतु कार्यदायी फर्म द्वारा सर्वे-रिपोर्ट एवं तकनीकी रिपोर्ट, त्रि-पार्टी अनुबन्ध
जी हाँ, फार्म पौण्ड, डिग्गी, जलहोज आदि पर सौर उर्जा पम्प सयंत्र लगाने पर नियमानुसार अनुदान देय है।
सिंचाई जल के समुचित एवं दक्षतम उपयोग हेतु आधुनिक सिंचाई प्रणाली का उपयोग सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली है. इन सिंचाई प्रणालियों को प्रोत्साहित करने हेतु कृषकों को उद्यान विभाग द्वारा राजकीय सहायता प्रदान करने की योजना ही सूक्ष्म सिंचाई योजना है.
सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत बूंद-बूंद (ड्रिप) सिंचाई, माइक्रो स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर, फव्वारा एवं रेनगन सिचाई संयंत्र काम में लिए जाते है.
बूंद-बूंद (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली में सिंचाई जल पतली नलियों (लेटरल) व ड्रिपर के माध्यम से सीधे ही पौधों के जड़ क्षेत्र में जाता जबकि फव्वारा सिंचाई प्रणाली में सिंचाई जल पाइप्स व नोजल के माध्यम से छिडकाव वर्षा की भांति होता है. बूंद-बूंद (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली की दक्षता 90-95% होती है जबकि फव्वारा की 70-75% होती है.
इनलाइन ड्रिप सिंचाई प्रणाली में ड्रिपर लेटरल में ही एक निश्चित अन्तराल पर स्थापित रहते हैं जबकि ऑनलाइन ड्रिप में लेटरल पर वान्छानुसार अन्तराल पर मैन्युअली ड्रिपर लगाये जाते हैं. इनलाइन ड्रिप कम अन्तराल की फसलों (यथा सब्जियां) हेतु उपयुक्त हैं जबकि ऑनलाइन ड्रिप अधिक अन्तराल फसल (यथा बगीचों) हेतु उपयुक्त है.
फव्वारा की नोजल 1200 से 1800 लीटर प्रति घंटे की दर से 12 से 18 मीटर तक पानी छिड़कती है जबकि मिनी फव्वारा की नोजल 150 से 600 लीटर प्रति घंटे की दर से 3 से 10 मीटर तक पानी छिड़कती है. पोर्टेबल फव्वारा से खेत में सिचाई हेतु पाइप बार-बार एक स्थान से दुसरे स्थान पर स्थान्तरण करने पड़ते है जबकि मिनी फव्वारा की लाइन्स फसल अवधि के दौरान स्थिर रहती है.
आधुनिक पद्दति से फल, सब्जी, फूल, कपास, गन्ना, अरण्डी जैसी फसलों में प्राथमिकता से बूंद-बूंद सिंचाई पद्दति अपनानी चाहिए, कम अन्तराल की क्षेत्रीय फसलों यथा बाजरा, ग्वार, मूंग, गेहूं, जौ, चना, आदि में फव्वारा या मिनी फव्वारा पद्दति अपनानी चाहिए.
भारी या चिकनी मिट्टी के क्षेत्र में पोर्टेबल फव्वारा की बजाय मिनी फव्वारा ज्यादा उपयुक्त है जबकि रेतीले क्षेत्रों में फव्वारा व मिनी फव्वारा दोनों उपयुक्त है. ड्रिप सिंचाई हेतु रेतीले क्षेत्रों में अधिक डिस्चार्ज का ड्रिपर काम में ले सकते है जबकि भारी मिट्टी क्षेत्र में कम डिस्चार्ज का ड्रिपर काम में लेना चाहिए.
वर्तमान में फव्वारा सिंचाई संयंत्रों पर लघु/सीमांत कृषको को 60 % व अन्य कृषकों को 50 % अनुदान देय है. बूंद-बूंद व मिनी फव्वारा सिंचाई संयंत्रों पर लघु/सीमांत कृषको को 70 % व अन्य कृषकों को 50 % अनुदान देय है.
अनुदान हेतु इ-मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाना है. पात्र आवेदकों का लक्ष्यों की सीमा में जिला इकाई द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाती है. संयंत्र स्थापना पश्चात इसका भौतिक सत्यापन किया जाता है तथा सत्यापन में नियमानुसार पाए गए संयंत्रों पर अनुदान जारी किया जाता है.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक या उप निदेशक उद्यान का कार्यालय हर जिला स्तर पर है, वहां संपर्क करें.
उद्यान विभाग द्वारा ड्रिप व फव्वारा के निर्माताओ की पंजीकृत सूची में से आपके क्षेत्र में कार्यरत कम से कम 4-5 आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क कर संयंत्र स्थापित करने तथा विक्रय पश्चात सेवाओं की जानकारी लेनी चाहिए तथा जिसकी अनुक्रिया सबसे अच्छी हो उसका चुनाव करें.
सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र में किसी प्रकार की समस्या होने पर सर्वप्रथम उसकी सुचना सम्बंधित आपूर्तिकर्ता के टोल फ्री नंबर पर बताएं. उचित प्रतिक्रिया प्राप्त न होने की स्थिति में सम्बंधित जिला कार्यालय में प्रस्तुत करें.
कोई भी कृषक मौसम अनुसार फसलों के बीजोत्पादन कार्यक्रम हेतु पंजीकरण के लिए प्रारूप 9 Online पूर्ण भरकर निर्धारित शुल्क के साथ संबंधित बीज उत्पादक संस्था के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित तिथि तक संबंधित संस्था कार्यालय में जमा करवाकर पंजीकरण करवा सकते है।
बीज उत्पादक कृषक की स्वयं की पासपोर्ट साईज फोटो व भूमि के स्वामित्व से संबंधित राजस्व दस्तावेज (जमाबंदी) की सत्यापित प्रति, बीज उत्पादन क्षेत्र का नजरी नक्षा जिसमें रास्ता व खेत की पहचान चिन्ह्, आधार कार्ड एवं परिवार की भूमि पर बीजोत्पादन लेने की स्थिति में परिवार के सदस्यों की सहमति पत्र अथवा 10 रूपये के नॉन्ज्यूडिसियल स्टॉम्प पैपर पर सहमति पत्र या अन्य किसान की भूमि किराये (लीज) पर लिये जाने की स्थिति में 100 रूपये के नॉन्ज्यूडिसियल स्टॉम्प पैपर एग्रीमेन्ट नोटेरी द्वारा सत्यापित होना आवष्यक है।
कृषक द्वारा बीज उत्पादन कार्यक्रम हेतु क्षेत्र के लिए संस्तुतित फसल, किस्म के भारत सरकार द्वारा अधिसूचित (नोटिफाईड) किस्म के प्रजनक/आधार बीज की आवष्यकता अनुसार क्रय राज्य के विष्व विद्यालयों/कृषि अनुसंधान केन्द्र/कृषि विज्ञान केन्द्र/राष्ट्रीय बीज निगम/राजस्थान राज्य बीज निगम व मान्यता प्राप्त बीज उत्पादक संस्थाओं से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रत्येक कृषक के खेत में खड़ी फसल में निर्धारित न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानको एवं फसल की प्रकृति के अनुसार दो से चार निरीक्षण प्रमाणीकरण संस्था के अधिकारियों द्वारा कृषक अथवा उसके प्रतिनिधि के साथ किये जाते है। इसमें प्रथम निरीक्षण पुष्पावस्था के समय किया जाता है जिसमें बुआई में लिये गये बीज के स्रोत फसल की स्थिति एवं पृथक्करण दूरी को जांच कर आगे संबंधित फसल के मानको अनुसार कृषक द्वारा किये जाने वाले आवष्यक सुधार कार्यो (अवांछित पौधे अन्य फसल/किस्मों के पौधे, रोग ग्रस्त पौधे एवं खरपतवार इत्यादि की रोगिंग) की जानकारी दी जाती है। द्वितीय/अन्तिम क्षेत्र निरीक्षण में बीज क्षेत्र प्रमाणीकरण के न्यूनतम निर्धारित मानको के अनुसार मानक पाये जाने पर संबंधित कृषक/प्रतिनिधि को अनुमानित उपज की सूचना दी जाती है।
1. एक खेत में एक ही फसल व किस्म का बीजोत्पादन कार्यक्रम लिया जाना चाहिए।
2. प्रमाणीकरण प्रक्रिया के दौरान आवष्यक दस्तावेजांे (बीज स्रोत सत्यापन के दस्तावेज जैसे टेग, खाली कट्टे, बिल, गेट पास इत्यादि) को संभाल कर रखना चाहिए
3. बीज फसल की कटाई, थै्रसिंग/गहाई के उपरांत उपज को सुखाकर साफ बारदानों में भरकर बुकरम पर्ची व दिये गये कोड़ लगाकर संबंधित उत्पादन संस्था को निर्धारित तिथि अनुसार जमा कर वजन की प्राप्ति रसीद प्राप्त की जानी चाहिए।
जैविक प्रमाणीकरण उत्पाद का प्रमाणीकरण न होकर जैविक उत्पादन की सम्पूर्ण प्रक्रिया का प्रमाणीकरण है जिसके अन्तर्गत प्रक्रिया के विभिन्न घटक जैसे खेत मे उत्पादन, भण्डारण, पषुपालन, रोग व कीट प्रबन्धन दस्तावेजीकरण, विक्रय केन्द्र में विपणन तथा परिवहन इत्यादि सम्मिलित है। जिनका दस्तावेजीकरण व निरीक्षण किया जाता है।
जैविक प्रमाणीकरण हेतु एकल कृषक स्वयं या समूह के रूप में प्रमाणीकरण के लिये आन्तरिक नियंत्रण प्रणाली या कार्य प्रदाता संस्था के माध्यम से प्रमाणीकरण संस्था को आवेदन कर सकते है। आवेदन पत्र के साथ पेन कार्ड, आधार कार्ड, जमाबन्दी की छाया प्रति, आवेदक की पासपोर्ट साईज फोटो, फार्म का नक्षा, सहमति पत्र (यदि आवष्यक हो तो) व निर्धारित शुल्क।
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के मानकों के अनुसार एक वर्षीय फसलों के लिये यह अवधि 2 वर्ष है। जबकि बहुवर्षीय फसलों के लिये यह अवधि 3 वर्ष है।
जैविक खेती हेतु रासायनिक उर्वरक, कीटनाषी, खरपतवारनाषी आदि निषिद्ध है एवं किसी प्रमाणीकरण संस्था अनुमोदित जैविक आदान ही अनुमत है जैसे केंचुआ खाद, जैव उर्वरक, जैविक कीटनाषी, जैविक काढ़ा (हर्बल स्प्रे) आदि।
राज. राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा फसल उत्पादन (एकल कृषक/कृषक समूह), प्रोसेसिंग एवं ट्रेडिंग, वन्य उत्पाद संग्रहण, पशुपालन एवं मधुमक्खी पालन एवं जैविक आदान अनुमोदन के प्रमाणीकरण का कार्य किया जाता है।
इकाई पर रबी सीजन में चना, जौ, गेहूँ सरसों, तारामीरा एवं अलसी इत्यादि एवं खरीफ सीजन में सोयाबीन, चवला, बाजरा, मूंग, ज्वार, तिल, ग्वार एवं मूँगफली इत्यादि के बीज उपलब्ध है।
प्रत्येक सीजन में निगम के मुख्यालय स्तर पर निर्धारित विक्रय दर पर बीज उपलब्ध/विक्रय किया है।
इकाई पर उपलब्ध वर्तमान सीजन के अनुसार जानकारी दी जाती है एवं स्थान विशेष के लिये अनुकुल किस्मों की जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अतिरिक्त बीज री बॉता साहित्य में रबी एवं खरीफ सीजन की किस्मों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवा दी जाती है।
रबी सीजन में जौ एवं चना 30 किग्रा, गेहूँ (40 किग्रा), सरसों एवं तारामीरा की पैकिंग 1 से 3 किग्रा साईज में एवं खरीफ सीजन में बाजरा एवं तिल की 1 किग्रा में, मूंग एवं ग्वार की 4 किग्रा में तथा ज्वार की पैकिंग 5 किग्रा में, मूँगफली की 25 किग्रा में की जाती है।
इकाई पर दो प्रकार के बीज उपलब्ध है, जिसमें प्रमाणित बीज कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी की अनुशंषा पर अनुदानित बीज प्राप्त किया जा सकता है एवं आधार बीज उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजीकृत किसानों को ही दिया जाता है।
हाँ, परन्तु प्रमाणित बीजों में अनुदानित बीजों पर अनुदान मिलता है एवं बीज उत्पादन कार्यक्रम लेने पर इकाई पर प्रमाणित बीज को पुनः जमा कराने पर क्रयनीति के अनुसार एवं आधार बीज पर अतिरिक्त 100 रूपये प्रति क्विं. प्रिमियम दिया जाता है।
राजसीड्स का बीज निगम इकाईयों के अतिरिक्त पंजीकृत सहकारी समितियों ¼GSS & KVSS½ से एवं निगम के अधिकृत विक्रेताओं से प्राप्त किये जा सकते है।
कृषक की स्वंय की जमाबंदी एवं मॉग के अनुसार उसी जमाबंदी में अंकित परिवार के सदस्यों की सहमति से भी बीज दिया जा सकता है।
हाँ, यदि कृषक बीज उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजीकृत है तो उसके द्वारा उत्पादित उपज को निगम वापिस क्रय करेगा।
इकाई पर उपलब्ध वर्तमान सीजन के अनुसार जानकारी दी जाती है एवं स्थान विशेष के लिये अनुकुल किस्मों की जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है। बीज री बॉता साहित्य (रबी एवं खरीफ सीजन) में इसकी सम्पूर्ण जानकारी समाहित होती है। जो कृषक को उपलब्ध करवा दी जाती है।
एक किसान फसलवार संबंधित योजना (NFSM, RKVY, Minikit, बीज गांव योजना इत्यादि) अन्तर्गत नियमों में दी गई सीमा के अनुसार अनुदानित बीज प्राप्त कर सकता है।
हाँ, यदि कृषक बीज उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजीकृत है तो उसके द्वारा उत्पादित उपज को निगम वापिस क्रय करेगा। क्रय किये जाने वाले बीज की मात्रा का निर्धारण बीज प्रमाणिकरण संस्था द्वारा अंन्तिम क्षेत्र निरीक्षण रिपोर्ट में अतिकतम उपज के अनुसार क्रय किया जावेगा या जमा किया जावेगा।
कृषक को भुगतान दो चरणों में किया जाता है। प्रथम चरण में कृषक द्वारा रॉ-सीड जमा करवाने वाले दिन का बाजार भाव पर 80 प्रतिशत का एवं शेष 20 प्रतिशत भुगतान कृषक के रॉ-सीड का विधायन कर बीज परीक्षण प्रयोगशाला से प्राप्त परिणामों के पश्चात् किया जाता है।
नहीं, यदि पंजीकृत कृषक अपना रॉ-बीज निगम इकाई पर पुनः जमा नहीं करवाता है। तो उसे काली सूची में डाल दिया जाता है। काली सूचीबद्ध कृषक को भविष्य में राजसीड्स का प्रमाणित बीज/आधार नहीं दिया जावेगा।
सीजनवार एवं फसलवार बीजों की सीड रेट के अनुसार बीज दिया जाता है। (बीज री बॉता साहित्य में दर्शाये अनुसार)
वर्तमान में कृषि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन किया जा सकता है। जिसके लिये संबंधित कृषक के नाम की जमाबंदी, कृषक की फोटो (जिसके नाम से बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया जावेगा) एवं उसी कृषक के आधार कार्ड की प्रतिलिपि संलग्न की जावेगी।
उपलब्ध बीजो की उपज की जानकारी निगम की रबी एवं खरीफ सीजन की बीज उत्पादन प्रक्रिया (साहित्य) के द्वारा दी जाती है।
नहीं, खाद एवं अन्य उर्वरक कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध करवाये जाते है।
निगम की इकाईयों द्वारा पंजीकृत कृषको द्वारा प्रमाणित एवं आधार बीज तैयर करवाने हेतु जमा रॉ-सीड उत्पादन कार्यक्रम के द्वारा उत्पादित करवा इकाई पर इन्टेक किया जाता है ततपश्चात् बीज प्रमाणिकरण संस्था के अधिकारियों द्वारा बीज विधायन एवं पैकिंग करवाया जाता है। विधायन के दौरान विधायित बीज का लॉट वाईज सैम्पल लिया जाता है एवं बीज परीक्षण प्रयोगशाला से परीक्षण करवाने पर प्राप्त परिणाम के पश्चात् विपणन का कार्य किया जाता है।
पंजीकृत कृषकों द्वारा उत्पादित रॉ-सीड बीज प्रमाणिकरण संस्था द्वारा अंन्तिम क्षेत्र निरीक्षण रिपोर्ट में दर्शाये अनुसार अतिकतम उपज के आधार पर इन्टेक किया जावेगा। कृषक द्वारा इन्टेक करवाने वाले रॉ-सीड का पंजीकृत धर्मकांटा से वजन किया जाता है, जिसकी मात्रा अधिकत्तम उपज के बराबर या कम होना चाहिये अधिक होने पर कृषक को पुनः लौटा दिया जाता है। साथ ही बीज की भौतिक स्थिति सही होनी चाहिये एवं नमी की जाँच के पश्चात् रॉ-सीड का इन्टेक किया जावेगा।
पंजीकृत किसानों के द्वारा लिये गये बीजों के क्षेत्र निरीक्षण का कार्य बीज प्रमाणिकरण संस्था के अधिकारियों एवं बीज निगम के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से फसल के बुवाई के बाद प्रथम क्षेत्र निरीक्षण एवं फसल के पकने या पुष्प आने की स्थिति (फसलवार) में अन्तिम क्षेत्र निरीक्षण किया जाता है।
विधायन के दौरान लिये गये सेम्पल को बीज परिक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है जिसके प्राप्त परिणाम एम.एस'सी.एस. के मानको में फेल पाये जाने पर सेम्पल अमानक एवं एम.एस'सी.एस. में मानक पाये जाने पर सेम्पल पास किया जाता है।
एम.एस'सी.एस. के मानको में यदि फैल बीज पुनः मानक होने की स्थिति में होता है तो उत्पादक के निवेदन पर एक बार पुनः विधायन कर विचार किया जा सकता है। अथवा कृषक/उत्पादक यदि चाहे तो फैल बीज को उठा सकता है।
बीज का सेम्पल रॉ-सीड के विधायन के दौरान लॉट वाईस लिया जाता है जो बीज प्रमाणीकरण सस्था के अधिकारियो द्वरा लिया जाता है।
कृषक को अण्डर साईज रॉ-सीड के विधायन के पश्चात ही उठाया जाना होता है।